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आज नहीं हुआ रमजान के चांद का दीदार, अब 24 को रोजेदार रखेंगे रोजा

Byjantaadmin

Mar 22, 2023

मुसलमानों के लिए रमजाम इस्लामिक कैलेंडर का नौंवा और पाक महीना होता है. इसमें रोजेदार पूरे महीने रोजा रखते हैं. चांद दिखाई देने के अगले दिन रोजेदार रोजा रखते हैं.

रोजा को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद की घोषणा

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से ट्वीट किया गया कि, ”इमारत-ए-शरिया हिंद द्वारा घोषणा की गयी है कि रमजान का पहला दिन शुक्रवार 24 मार्च, 2023 से शुरू होगा. भारत में बुधवार शाम को रमजान का चांद नहीं देखा गया. इसलिए रमजान का पाक महीना आधिकारिक तौर पर शुक्रवार यानी जुमा के दिन से शुरू होगा.”

क्या होती है सहरी?

रोजा के लिए सुबह सूर्योदय से पहले फज्र की अजान के पहेले सहरी ली जाती है. रमजान में सूर्योदय पहले खाने वाले भोजन को ही ‘सहरी’ कहा जाता है. रमजान शुरू होने के पहले ही पूरे महीने के लिए सहरी करने का समय भी निर्धारित कर दिया जाता है. इसी समय के अनुसार सहरी करनी होती है और पूरे दिन रोजा रखा जाता है.

रमजान के पाक महीने में करें ये नेक काम

अल्लाह ताला ने आपको अगर इतना सामर्थ्य बनाया है कि आप दूसरों की मदद कर सकें तो रमजान के महीने में गरीब और जरूरतमंदों में सहरी और इफ्तार के लिए फल, भोजन, खजूर या जूस आदि का दान करें. इससे नेक काम रमजान में कुछ भी नहीं.

रमजान में क्यों पढ़ते हैं तरावीह की नमाज

तरावीह वह नमाज है, जिसे रमजान के दौरान ही पढ़ा जाता है. चांद रात यानी चांद दिखने के दिन से ही इसकी शुरुआत हो जाती है और आखिरी रमजान तक इसे पढ़ा जाता है. तरावीह की नमाज सुन्नते मोक्किदा होती है. इसे मर्द और औरत दोनों पढ़ते हैं. रमजान में तरावीह की नमाज मे पुरा कुराण शरीफ सुना जाता है

रमजान के पाक महीने में इन 5 बातों का रखें ध्यान

सही समय पर सहरी और इफ्तार करें.

पांच वक्त की नमाज अदा करें.

रमजान के महीने में तरावीह की नमाज, ईशा नमाज के बाद पढ़ें.

इस पाक महीने में कोई भी ऐसा काम न करें जिससे दूसरे को दुख हो.

रमजान के महीने में अधिक से अधिक अल्लाह की इबादत करें कुराण शरीफ की तीलावात करे

3 अशरों में बांटा गया है रमजान का रोजा

रमजान में पूरे महीने रोजे के लिए 30 दिन को 3 अशरों यानी भागों में बांटा गया है. पहले 10 दिन का रोजा रहमत, दूसरे 10 दिन का रोजा बरकत और आखिर 10 दिन का रोजा मगफिरत कहलाता है.

रमजान में सहरी और इफ्तार का महत्व

रमजान में सहरी और इफ्तार का बहुत महत्व होता है. रोजेदार को सही समय पर सहरी और इफ्तार करनी चाहिए. सूर्योदय से पहले किए गए भोजन को सेहरी कहते हैं और सूर्योदय के बाद रोजा खोलते समय किए गए भोजन को इफ्तार कहा जाता है. सेहरी करने के बाद पूरे दिन कुछ भी खाना-पीना वर्जित होता है. शाम में नमाज पढ़ने और सूर्योदय होने पर इफ्तार किया जाता है.

इस बार साढ़े तेरह घंटे का होगा पहला रोजा

22 मार्च को अगर चांद नजर आ जाता है तो रमजान के मुबारक महीने की शुरुआत हो जाएगी. इस बार रमजान का पहला रोजा करीब साढ़े तेरह घंटे और आखिरी रोजा साढ़े चौदह घंटे का होगा.

रमजान पर क्यों जरूरी है चांद का दीदार?

हिंदू पंचांग में जिस तरह से सूर्योदय या उदयातिथि के अनुसार व्रत-त्योहार तय किए जाते हैं. ठीक इसी तरह इस्लामिक कैलेंडर में चांद का महत्व होता है और इसी के आधार पर त्योहार तय होते हैं. रमजान के साथ ही कई त्योहार मनाने से पहले चांद देखा जाता है. अगर किसी कारण चांद दिखाई नहीं देता तो उस महीने की तारीख ए कमरी के आधार पर त्योहार मनाया जाता है.

 

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